Sunday, May 17, 2020

सिरसा


सिरसा हम 1954 -1956 के बीच रहे। 
डाक खाने वाली गली में मकान था हमारा। गली के सामने के एरिया में डाक खाना था और उसमें काम करने वाले कर्मचारियों के मकान 
 थे।  एक डाकिया था उसका लड़का हम उम्र था।  उससे दोस्ती थी।  डाक खाने की छत पर चढ़ कर खेलते थे हम। 
 बदलू राम तहसीलदार थे। उनके परिवार से भी सम्पर्क थे।  उनका लड़का कई बार घर भी आया करता था. मकान में एक बैठक थी।  दो कमरे थे।  एक रसोई थी और एक स्टोर था।  बीच में ठीक ठाक सा सहन था। 
गली के पूर्वी छोर पर बड़ा सा खली ग्राउंड था और उस ग्राउंड के पूर्वी छोर पर जेल की लम्बी फैली दीवार नजर आती थी।  
 मैंने मॉडल स्कूल जो 1955  में  खुला था  पहली कक्षा में दाखिला लिया था।  
गली के पश्चमी छोर पर एक सड़क थी जिसे डबवाली वाली सड़क कहते थे।  
बिमला बहिन जी,संतोष बहिन जी , निर्मल बहन और मैं तथा बाउजी और माता जी रहते थे उस घर में।  भैंस वहां भी रखते थे।  और ज्यादा बातें यद् नहीं हैं। 

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