दूध पीने से सेहत बनती है , राध (पीप )
नहीं ।
डॉक्टर जी एस सेखों जी के वार्ड में हाउस जॉब शुरू की । वार्ड में कई तरह के कोल्हू की चोट पर पोस्टर थे और एक पोस्टर यह भी था कि
" दूध पीने से सेहत बनती है , जख्म जल्दी ठीक होता है। राध(पीप ) नहीं बनती।"
कई दिन सोचता रहा," यह पोस्टर बनाने की क्या जरूरत थी । सब जानते हैं कि ऑपेरशन के बाद दूध पियो तो जख्म जल्दी ठीक होता है। " पीप " का क्या मामला है।
जब अगले 6 महीने की हाउस जॉब शुरू की तो एक हर्निया का मरीज आपरेशन के बाद टांके निकलवाने आया । टांके निकाल दिए। दवाई वगैरह बता दी। ताऊ चल दिया। पांच सात कदम चल कर वापिस आकर मेरे कान की तरफ मूंह करके पूछा," दूध पीना शुरू कर दयूं?
मैन हैरान होकर पूछा ," दूध पीने के लिए मना कौनसे डॉक्टर ने किया था?
इधर उधर देख कर बोला ," गांव में होक्के पर बैठे लोग कह रहे थे कि दूध पीने से टांकों में राध (पीप) हो जाती है। मैने समझाया ऐसा कुछ नहीं है।
इस मिथ को जनता में दूर करते करते डॉक्टर जी एस सेखों ने पूरा जीवन लगा दिया । थोड़ी बहुत कोशिश मैने भी की। मगर यह भरम आज भी चल ही रहा है कि दूध पीने से टांकों में पीप पड़ जाती है।
अभी भी अभियान जारी है कि दूध पीने से सेहत बनती है पीप नहीं पड़ती टांकों में । आप भी मदद करें ।
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