Monday, May 18, 2020

वार्ड 6-- भूली बिसरी यादें

वार्ड  6-- भूली बिसरी यादें 
एक बार की बात की झरौट के बुजुर्ग अपनी घरवाली को लेकर आये । उसकी एक टांग में गैंग्रीन हो गई बायीं या दायीं याद नहीं। हमने सभी concerned विभागों की राय ली और यह तय हुआ कि amputation करनी होगी । ताऊ को समझाया। कटने की बात सुनकर दोनों घबरा गए । ताऊ मेरे कमरे में आया और हाथ जोड़ कर खड़ा हो गया। मैने बिठाया और उसकी और देखा। " काटनी ए पड़ैगी डॉ साहब। और कोए राह कोण्या इसकी ज्यान नै खतरा करदेगी या गैंग्रीन -- मैंने जवाब दिया बहुत धीमे से। ताऊ बोल्या-- न्यों कहवै सैं अक गुड़गांव मैं शीतला माता की धोक मारकै ठीक होज्यां हैं। मैंने कहा-- मेरी जानकारी में नहीं। ताऊ-- एक बार जाना चाहवैं सैं। फेर आपके डॉ न्यों बोले-- LAMA होज्या । छुट्टी कोण्या देवें । और फिर हमारे वार्ड में दाखिला नहीं हो सकता। चाहूँ सू आप के वार्ड मैं इलाज करवाना। मैने कहा एक शर्त है-- जै इसकी टांग धोक मारकै ठीक होज्या तो भी लियाईये और नहीं ठीक हो तो भी। ठीक होगी तो मैं बाकी के इसे मरीज भी वहीं गुड़गांव भेज दिया करूंगा और ठीक न हो तो आप ये सारी बात एक पर्चे में लिखकर बांटना कि वहां मेरी घरवाली ठीक नहीं हुई। हम ने discharge on request कर दिया । दो दिन बाद वापिस आ गया । महिला की हालत ज्यादा खराब हुई थी। खैर amputation ortho विभाग  के सहयोग से की और महिला ठीक होकर चली गयी । बुजुर्ग जाने से पहले आया कमरे में और कहने लगा-- पर्चा छापना चाहूँ सूँ फेर गांव वाले कह रहे हैं शीतला माता 

 के खिलाफ पर्चा। बहोत दबाव सै मेरे पै डॉ साहब । पैरों की तरफ हाथ किये । मैने बुजुर्ग को छाती से लगा लिया और आशीर्वाद देने को कहा।

No comments:

Post a Comment