Wednesday, November 15, 2023

पुरानी यादें

 *****पुरानी यादें --मेरे बॉस डॉ सेखों 

1976 -1977 का दौर 

मेरी पोस्टिंग spm deptt की तरफ से सिविल अस्पताल बेरी में कर दी गई। सिविल अस्पताल के अलावा लेडीज का विंग भी था बाजार के अंदर जा कर । उसमें एक बुजुर्ग महिला फार्मासिस्ट की पोस्टिंग थी। designation दूसरा भी हो सकता है । वहां से सन्देश आया शाम के वक्त कि एक मुश्किल डिलीवरी है और डॉक्टर साहब को बुलाया है। मैं सोचता जा रहा था कि डेढ़ महीने की  maternity ड्यूटी में 5 या 6 डिलीवरी देखी थी। सोचते सोचते पहुंच कर देखा कि breech डिलीवरी थी। monaster था। चार टांगे , चार बाजू , धड़ एक और दो सिर वाला। चारों टांगे और दो बाजू डिलीवर हो चुकी थी। देख कर पसीने छूट गए। एक मिनट सोचा कि मेडिकल भेज दिया जाए। फिर सोचा इस हालत में कैसे भेजेंगे? अगले ही पल सोचा कोशिश करते हैं । मन ही मन Dr GS Sekhon मेरे बॉस याद आ गए। वे कहते थे कि कितना भी मुश्किल मामला हो अपनी कॉमन सैंस को मत भूलो और पक्के निश्चय के साथ शांत भाव से जुट जाओ । जुट गया । जल्दी लोकल लगाकर  episiotomy incision दिया और निरीक्षण किया। महिला का हौंसला बढ़ाया। बाकी के दो बाजू डिलीवर करने में 15 मिन्ट लगे । पसीने छूट रहे थे । खैर फिर मुश्किल से एक सिर और डिलीवर करवाया। फिर भी कुछ बाकी था । देखा अच्छी तरह तो एक सिर अभी बाकी था और पहले वाले सिर से कुछ बड़ा था । कोशिश की । episiotomy incision को extend किया । 15 से 20 मिन्ट की मश्शक्त के बाद दूसरा सिर भी डिलीवर हो गया । monaster था डेथ हो चुकी थी। मगर हम महिला को बचा पाए। पता लगता गया कि दो सिर चार बाजू चार टांगो वाला बच्चा पैदा हुआ है । कौतूहल वश बहुत लोग इकट्ठे हो गए थे। 6 महीने के बाद वापिस spm deptt में आ गया । 2-3 साल के बाद एक हैंड प्रोलैप्स का केस रेफ़ेर हुआ मेडिकल के लिए । रहडू पर लिटा कर बाजार के बीच से ले जा रहे थे तो किसी ने पूछा के बात कहां ले जा रहे हो। बताया कि एक हाथ बाहर आ गया । मेडिकल ले जा रहे हैं । तो अनजाने में उस बुजुर्ग ने कहा - एक बख्त वो था जिब चार चार हाथां आले की डिलीवरी करवा दी थी, आज एक हाथ काबू कोनी आया। किसी ने बताया था जब वह मरीज मेरे पास 6 वार्ड में दाखिल था । मेरे को मेरे बॉस Dr सेखों एक बार फिर याद आये। बहुत अलग किस्म की इंसानियत के धनी थे Dr सेखों।

*****भुली बिसरी यादें 

सन 1956 की बात है की मेरे पिताजी चौधरी जागे राम सिरसा से बतोर इंस्पेक्टर एग्रीकल्चर की पोस्ट से  बतौर फार्म मैनेजर सरकारी एग्रीकल्चर फार्म रोहतक में तबादला हो कर आए। यह फार्म 100 एकड़ जमीन में बना सरकारी एग्रीकल्चर फार्म था , जिसमें हर तरह की खेती की जाती थी । चार जोड़ी हट्टे कट्टे बैल थे जो खेती करने में  बहुत कारगर रूप से इस्तेमाल किए जाते थे ।  पिताजी 1966 तक यहां पर रहे और यहीं से रिटायर हो गए।  आने वाले दिनों में यह फार्म नहीं रहा और जमीन कुछ बेच दी गई कुछ पर सरकारी दफ्तर खुलते गए और सरकारी अफसरों के रहने के लिये कोठियां और मकान बनते गए। सिरफ़ एग्रीकल्चर फार्म का मेन गेट बचा है जो कमिश्नर के  रेजिडेंस और दफ्तर दोनों यहां हैं, तक जाता है बाकि एग्रो मॉल इसकी जमीन में बना और कई कॉलोनी भी बन गई । बहुत से मकान हैं । दो पीपल के पेड़ आज भी पहचाने जा सकते हैं जो हमारे घर के सामने मौजूद थे। भूली बिसरी यादें हैं पूरे फॉर्म में घूमते थे। पिताजी बहुत सख्त मिजाज थे और फार्म के खेत से चूसने के लिए गन्ने भी नहीं लाने देते थे। बोहर वालों के खेतों से लेकर आते थे।  और चीजों का तो मतलब ही नहीं । यहीं से मैं बिल्कुल साथ लगता जाट स्कूल है वहां पर पढ़ने जाने लगा । पहले प्राइमरी स्कूल में पढ़ा  और फिर हाई स्कूल में छठी क्लास से हायर सेकेंडरी किया । बहुत सी यादें हैं उस दौर की जिन्हें याद करना इतना आसान नहीं है आज एक बार  कोशिश है उन पुरानी यादों को याद करने की। 

प्राइमरी स्कूल में पहले एक ही टीचर थे मास्टर फतेह सिंह दलाल। तीसरी में हुए तो सूरजमुखी बहिनजी ने भी ज्वाइन कर लिया। पांचवी तक पहुंचे तो मास्टर दलजीत सिंह राठी जी भी क्लास लेने लगे।


******2014 अगस्त में रिटायरमेंट के टाइम पूरी यूनिट के डॉक्टर एक साथ अपनी पुरानी यादें, पुराने दुख सुख के दिन जो यूनिट में गुजरे थे उन्हें अपने अपने ढंग से याद कर रहे थे। एक सीनियर एस आर ने बताया कि एक बार एक unkown मरीज एक्सीडेंट के साथ आया । उसके पेट में चोट थी। उसको ऑपरेट करने की जरूरत थी मगर उसके ग्रुप का खून ब्लड बैंक में नहीं था । बताया कि सर आपका o पॉजिटिव ब्लड है जो पॉजिटिव दूसरे सभी ग्रुप्स को दिया जा सकता है। आप ब्लड बैंक गए वहां एक यूनिट ब्लड unkown मरीज के लिए दिया और वापिस आकर उसका आपरेशन किया। मरीज बचा लिया गया। 

मैने बहुत कोशिश की पुरानी याद को याद करने की । मगर जब डेट आदि बताई तो मुझे भी यकीन हुआ कि ऐसा कुछ हुआ था। 

और भी कई ना भुलाई जाने वाली पुरानी यादें साझा की गई। अब थोड़ा उम्र का असर होने लगा है तो सोचा सांझा कर लूँ सभी के साथ। मौके पर लिया गया फैंसला यदि एक ज्यान को भी बचा पाता है एक डॉक्टर के जीवन में तो एक एहसास और विश्वास बढ़ता है डॉक्टर का।

मेरे साथ के हमसफ़र सभी डॉक्टरों को याद करते हुए | मुझे गर्व है अपनी यूनिट के उन सभी डॉक्टरों पर जो मरीजों की सेवा में लग्न हैं। 

डॉ रणबीर


***** पुरानी यादें 

24 -25 साल पहले की बात है । नार्थ जोन सर्जन कांफ्रेंस जम्मू में आयोजित की गई थी । रोहतक से 25-30 डॉक्टर थे । एक दिन सभी का मन वैष्णो देवी मंदिर की यात्रा का बना। मैने मना किया तो सभी ने अनुरोध किया कि चलें । हम चल दिये । 

       अर्ध कन्वारी से कुछ पहले 4-5 महिलाएं और 5-6 पुरुष परेशान से दिखाई दे रहे थे। हमारे में से किसी ने पूछा-क्या बात है क्या हुआ। 

बताया- उनके एक बुजुर्ग पेशाब करने बैठे थे और वे नीचे खाई में लुढ़क गए हैं । उन्हें देखने गए हैं। 

       हमने भी बुजुर्ग को ढूंढने की इच्छा बनाई और 5-6 डॉक्टर हम नीचे उतरते चले गए । 150 गज के करीब नीचे उतरने के बाद हमने आवाज लगाई कि क्या बुजुर्ग मिल गए। और नीचे से आवाज आई- हाँ मिल गए। हमने पूछा- कैसी तबियत है? जवाब आया- ठीक हैं। उप्पर रास्ते में खड़े लोगों ने सुना तो कुछ जय माता की बोलते चले गए।

         हमने फिर पूछा कि हम डॉक्टर हैं कोई चोट है तो हम आ जाते हैं मदद करने । बताओ कहाँ पर हो।

फिर आवाज आई थोड़ी धीमी - वो तो चल बसे । इतनी देर में हम भी वहां पहुंच गए थे। पूछा- पहले ठीक क्यों कहा ? जवाब था कि ऊपर वाले रिश्तेदारों में से किसी को सदमा न लग जाये इसलिए । 

        कुछ लोगों को तो लगा कि माता ने उस बुजुर्ग को बचा लिया। मगर सच्चाई यही थी कि माता उस बुजुर्ग को नहीं बचा पाई। 

      मैने सभी डॉक्टर सहयोगियों से पूछा -- यदि बुजुर्ग जिंदा होते और चोटिल होते तो हम क्या फर्स्ट एड कर सकते थे । सब ने अपने अपने ढंग से बात रखी। मैने फिर कहा- बिना इमरजेंसी किट के शायद हम ज्यादा फर्स्ट एड करने की हालत में नहीं होते।

         हम सबने तय किया कि जब इस तरह के ग्रुप में कहीं जाएंगे तो इमरजेंसी किट जरूर साथ लेकर चलेंगे । 

बाकियों का तो पता नहीं मैने एक किट जरूर बना ली । 

तीन साल बाद वही कांफ्रेंस पी जी आई चंडीगढ़ में थी। कालेज की बस में गए थे हम सब । वापसी पर अम्बाला पहुंचने से पहले हमारे सामने ट्रैक्टर सड़क के किनारे पलट गया। हमने गाड़ी रुकवाई ।

    ड्राइवर ट्रैक्टर के पहिये के नीचे दबा था । हमने सबने मिलकर उसको निकाला और देखा तो वह शॉक में था । मैं ने इमरजेंसी किट से उसे मेफेंटीन इंजेक्शन दिया और एक वोवरान का inj दिया । कुछ संम्भल गया मरीज । हमने उसे अपनी गाड़ी में लिटाया और उसे अम्बाला सिविल अस्पताल में दाखिल करवाया । इलाज शुरू हुआ तो मरीज और इम्प्रूव हुआ ।

   3 साल तक लगता था यह किट खामखा उठाये फिरता हूँ मगर उस रोज लगा कि खामखा नहीं उठाई किट ।

शायद जो डॉक्टर साथी इन दोनों मौकों पर थे उनको याद हों ये दोनों घटनाएं ।

रणबीर दहिया


****** पुरानी यादें -- डॉ विकाश कथूरिया, डॉ विकास अग्रवाल, डॉ अनिल जांगड़ा, डॉ सुनील , डॉ पूजा , डॉ कुलदीप, डॉ राजू राजन, डॉ दीपांशु और सभी कॉलीग्स -- आप सबको सलाम ।


****समस्त कर्मचारी व छात्र पीजीआईएमएस रोहतक द्वारा बाबा साहेब भीम राव अम्बेडकर के 131वें जन्म दिवस पर आयोजित कार्यक्रम ।

पीजीआईएमएस,रोहतक लेक्चर थिएटर -1 में।

इस 1 थियेटर में कभी 1967से 1971के  दौर में अपने गुरुओं से पढ़ा और बहुत कुछ सीखा और फिर 1983 से 2014 तक पढ़ाया भी। बहुत सी पुरानी यादें ताजा हो गयी। (42 साल का सफर)


*****पुरानी यादें---

मंत्री खुर्सीद अहमद जी :

खेल प्रतियोगिता इनाम वितरण समारोह मेडिकल कॉलेज रोहतक सन 1971 के आस पास.

*****आज नित्यानंद स्कूल गया सप्तरंग के प्रोग्राम में तो प्रोफेसर जय सिंह मलिक का फोटो नजर आया। देखकर पुरानी यादें ताजा हो गई। बहुत ही नेक दिल इंसान और दोस्त ।


डॉ सुरेश शर्मा - पानीपत की चौथी लड़ाई 

डा सूरजभान

राजेश अत्रेय

डा शंकर इसराना


******'पानीपत की चौथी लड़ाई' साक्षरता आंदोलन की 1992 की रैली।

***पुरानी यादें***

******हरियाणा के प्रथम साक्षरता अभियान, जो कि पानीपत जिले में चला था, उस अभियान के एक परोधा डॉ. रणबीर सिंह दहिया (पी.जी.आई.एम.एस. के सेवानिवृत्त प्रोफेसर) को जिला विकास भवन में आयोजित हरियाणा विज्ञान मंच के कार्यक्रम में सुनने का मौका मिला। सचमुच आज भी युवाओं जैसा जोश हैं डॉ. दहिया में। 


इसी कार्यक्रम में कुछ फलैक्स  पर मेरे द्वारा विज्ञान लोकप्रियकरण एवं अंधविश्वासों के खिलाफ लिखे लेख और कुछ रिपोर्ट भी छपी हुई थी। पुरानी यादे ताजा हो गई। धन्यवाद, हरियाणा विज्ञान मंच का।

दीपा


******पुराणी यादें 

MBBS के बाद इंटर्नशिप कर रहे थे । 3 महीने की रूरल पोस्टिंग बेरी में थी । SPM विभाग की तरफ से 10 दिन का हेल्थ कैम्प जहाजगढ़ माजरा में लगा। सर्जरी विभाग से सीनियर सर्जन डॉक्टर छाबड़ा की ड्यूटी थी । मेरी ड्यूटी भी सर्जरी सेक्सन में थी । पहले 3 दिन सुबह OPD और शाम को सर्जरी होती। एक दिन शायद बदलू राम का मरीज गर्दन के पिछले हिस्से (Nape of neck) में एक काफी बड़ी गाँठ लेकर आया। उसका diagnosis लाइपोमा(lipoma) बना। शाम को 7 बजे ऑपरेशन शुरू किया। डॉक्टर बलबीर छाबड़ा बेहोशी विभाग से थे ।

पौने घंटे से ज्यादा हो गया । खून ज्यादा बाह गया। गाँठ निकल नहीं पा रही थी । दो यूनिट खून की जरूरत पड़ी। लैब तकनीशियन नहीं मिला। ताला तोड़कर सिट्रेट निकाला और मरीज का सैम्पल लिया । spm deptt के पास एक ट्रक था उस वक्त वाही था। driver जय नारायण था और ०शाम को बरसात भी तगड़ी हुई थी । गांगटांन गाँव से परली तरफ सड़क पर काफी दूर तक पानी था ।मैंने जय नारायण को कहा कि फुल स्पीड से ट्रक चला मरीज का बचाना बहुत जरूरी है हमें अपनी जान की परवाह नहीं करनी है ।

फुल स्पीड से चलाया। रोहतक पहुंचे । डॉक्टर एल सी गुप्ता को घर से लिया और दो यूनिट ब्लड लेकर हम 1.5 घंटे में जहाजगढ़ माजरा वापिस थे । सब हैरान थे । ऑपरेशन हो चूका था। खून बहुत बह गया था। खून चढ़ाया गया। बदलूराम बच गया। मैंने जयनारायण का बहुत बहुत धन्यवाद किया। Biopsy Report  में sarcoma (एक तरह का कैंसर आया) । बाकि इलाज मेडिकल में चला और कई साल जिया बदलू राम ।


****** Kamla Bahin ji 9 pm on 5th May 2021 Alvida

कुछ दिन पहले हमारे पास आई । 4..5 दिन हमारे साथ रही। बहुत अरसे के बाद आई थी। पुरानी यादों को ताजा करती रही। बताया कि बीर बाउजी से सीधे बात नहीं करता था । माँ को कहता वो बाउजी को बताती। वो जो कहते वो बीर को बताती। बाउजी एक एक पाई का आमन्दनी और खर्च का हिसाब रखते थे। उर्दू में लिखते थे । 85 साल की उम्र तक बहुत ही सक्रिय रहे कमला बहिन जी। अभी कुछ दिन पहले उनका 85 वां जन्म दिन मनाया था पूरे परिवार ने। याद में हमेशा रहेंगी। विनम्र श्रद्धांजलि।

उनके कुछ दिन बाद संतोष बहिनजी भी चल बसे। दो दो बहनों का चले जाना कितना दुःखद है कहना मुश्किल है।

विनम्र श्रद्धांजलि। बर्दाश्त करने की हिम्मत तो जुटानी ही होगी...

******आज किशनपुरा चौपाल में सुश्री उर्मिला जी भूतपूर्व सरपंच गांगटान और साक्षरता आंदोलन की अग्रणी कार्यकर्ता से मुलाकात हुई। पुरानी यादें उस दौर की सांझा की। बहुत अच्छा लगा । उनके साथ दो महिलाएं अपने स्वाथ्य के बारे परामर्श करने आई थी।


*****आज बहुत दिनों बाद एनोटमी विभाग के लेक्चर थिएटर  वन में 2 घण्टे के लिए जाने का मौका मिला । 1967 कि यादें ताजा हो गई । पुरानी यादें ; पुराने अध्यापक : डॉ इंदरजीत दीवान, डॉ इंद्रबीर सिंह , डॉ छिबर, डॉ गांधी, डॉ राठी याद आ गए। 67 बैच के साथी भी दिमाग में घूम गए । सुशील खुराना, आर एन कालरा, अशोक भाटिया, दयासागर गोयल, हरीश भंडारी , रमेश मित्तल, ईश्वर नासिर, रीटा गुलाटी, कर्मजीत कौर, कृष्णा सहरावत , स्वर्ण लता, विमला कादयान आदि आदि।

*****आज होली की शाम की चाय पर डॉ एस पी शर्मा और कांता शर्मा जी (इंद्रप्रस्थ कॉलोनी) के यहां ज्ञान विज्ञान आंदोलन के पुरोधा साथियों सुधीर शर्मा जी और महावीर शर्मा जी और उनके परिवार से मिलने और पुरानी मुशायरों के दौर की यादें ताजा करने का मौका मिला।


***** पुराणी यादें- डा एच एल छाबड़ा मेरी शादी के मौके पर ।


*****आज कामरेड पृथ्वी सिंह के जन्म दिवस के मौके पर गोरखपुर में आयोजित फ्री हैल्थ चेक अप कैंप में डॉ श्रीराम सिवाच और डॉ वीरभान सिंह और उनकी नोबल अस्पताल  की टीम के साथ 370 मरीजों का निरीक्षण किया गया। कई पुराने साथियों से मिलने का मौका मिला और बहुत सी पुरानी यादों के माध्यम से साथी पृथ्वी सिंह को फिर से याद किया गया।

2019


**** Dr J. C. Dhall and me. Old memories

*****Old memories of Surgery IV unit PGIMS, Rohtak .


***** Dr R S Dahiya addressing the house on the occasion of 2nd Dr I B Singh Essay Writing Competition


***** After 3 or 4 years , got a chance to go to PGIMS , Ranbir Singh OPD at 12.20 pm. Many old memories came to mind . Surgery opd room no 265 and 266 reminded me a lot. Met Dr Surekha Dabla neurologist and Dr Pardeep Kajal Paediatric Surgeon .


*******rohmedcol कॉलेज मैगज़ीन के विमोचन के अवसर पर लैम क्लब pgims द्वारा आयोजित कार्यक्रम में 

राय साहब, वधवा साहब, डा देवेन्द्र गौड़ व डा रणबीर---

Old memories.


******Dr G S Sekhon 

Old memories . He trained me as a human surgeon .


*****Old memories 

Lecture Theatre 3 attendant BHOLA  with Dr Sangwan


******* OLD MEMORIES

Dr Pooja, Dr Neha, Dr Nityasha, Dr R.S.Dahiya, Dr Sameer Anand, Dr Deepanshu, Dr Robert, Dr Sanjeev, Dr Chander Bhan, Dr Raju Rajan, Dr Kuldeep, Dr Puspender Sarwa, Dr Jai Karan --SURGERY UNIT IV FAMILY-A DEDICATED TEAM INDEED


NK Magu 

 The editorial board of ROHMEDCOL decided to dedicate issue of the college magazine in the name of Dr  Kamra. Dr Vidya Sagar left for his heavenly abode the same year. We stuck to the decision of the board and wrote obituary in the name of Dr Vidya Sagar Ji too.


****HSMTA dharna for its demands way back in 1998


*****मैंने एमबीबीएस पास की है । अभी तक की फीस वृद्धि के नियम बारे जो मेरी समझ में आया 

1.यदि मुझे हरियाणा सरकार नौकरी देती है तो मेरा बांड का पैसा भी वह देगी 7 साल में । सात साल की नौकरी जरूरी।

2.क्या हरियाणा सरकार के पास सभी को देने को इतनी नौकरियां हैं?

3. यदि में हरियाणा सरकार के स्तर की या उससे ऊंचे सतर की नौकरी कहीं भी करता हूं तो भी मुझे बांड पैसा वापस करना होगा कितने समय में मुझे साफ नहीं हो पा रहा नौकरी ज्वाइन करते से पहले या 7 साल में, चाहे मैं फौज में नौकरी करूं या पंजाब हिमाचल में।

4. यदि मैं  नौकरी नहीं करता कहीं भी। हरियाणा में ही अपनी प्रैक्टिस करता हूं तो भी क्या मुझे बांड राशि वापस करनी होगी या मुझसे बॉन्ड राशि नहीं ली जाएगी? आब तक की नीति ने शायद इस बात पर ध्यान नहीं दिया 5.एक सवाल और है कि क्या मैं लोन वापसी किये बगैर MS/MD  में दाखिला ले सकता हूं? हालांकि उसका करोड़ों का बांड अलग से भरना होता है।

6. क्या सिर्फ एमबीबीएस करके मैं महज एक RMP की तरह नहीं रह जाऊंगा? मेरे पास इलाज करवाने कम लोग आएंगे।

7. केंद्र के मानदेय कहते हैं कि एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एक सर्जन, एक शिशु रोग विशेषज्ञ, एक स्त्री रोग विशेषज्ञ और एक फीजिशियन होना चाहिए । क्या किसी भी एक ग्रामीण सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जो हरियाणा में लगभग 119 हैं यह चारों स्पेशलिस्ट हैं? नहीं एक में भी नहीं शायद । क्या हरियाणा वासियों को इनकी सेवा की जरूरत नहीं है?  एमबीबीएस करते ही आपने सर्विस दे दी तो स्पेशलिस्ट इन को कब बनाओगे यह साफ नहीं किया गया है।


******Situation in Radio diagnosis department  PGIMS, Rohtak.

30.08.2022 workload details in Radio Diagnosis Deptt.

MRI...........41

CT Scan....85

USG...........560

Plain xray..975

IVP.............03

Mammography..04

CT guided FNAC..01

USG guided fnac..02

रेडियो डायग्नोसिस विभाग में कितने Consultant सैंक्सन हैं और कितने काम कर रहे हैं और कितनी पोस्ट खाली हैं यह भी लिखा जाना चाहिए था। 11 पोस्ट में से 8 खाली हैं तो लाइन तो लंबी रहेगी। लाइन में खड़े लोगों को सरकार से मांग करनी चाहिए कि खाली सीट पर भरती करें।


Do we have Robot Surgery facility in PGIMS , Rohtak.

Govt is not serious about it.

Surgical Robots

Accept it or not, the da Vinci surgical robot was developed more than 15 years ago. Since that day, more and more surgeons have begun to use the robotics system in operating rooms to perform tricky surgeries. These robots are still monitored and guided by human surgeons, but thanks to their higher degree of durability and capacity to work in very small spaces, the robots can do operations with a higher degree of accuracy than human hands. Entirely automated surgical robots for easy tasks like sewing cuts have also started to get their path into the surgical theater.


******PGIMS ROHTAK DATA  ON  INCREASE                                           

                                                      2018                    2019

1. ओपीडी इमरजेंसी के अलावा------1861306 --------1743495

2.  इमरजेंसी --------------------------- 336836----------390074

3. कुल ओपीडी------------------------2198142----------2133569

4.रोजाना औसतन ओपीडी------------7386---------------7081

5. दाखिल कुल मरीज-----------------117018------------123403

6.रोजाना दाखिले औसतन------------321-----------------337

7.कुल डेथ -----------------------------7074---------------8010

8.कुल जन्म----------------------------11222--------------12796

9.% बिस्तर ऑक्युपेंसी-----------------83.66---------------82.33

10. औसतन स्टे-------------------------5.73------------------5.75

11.मेजर सर्जरी -------------------------24653---------------25976

12.माइनर सर्जरी-----------------------158825-------------158641

13कुल ऑपरेशन-----------------------183478-------------184617


******On occasion of World Health Day, to remember our career makers.

Anatomy Deptt. Of PGIMS , Rohtak 

FIRST PRINCIPAL OF MEDICAL COLLEGE ROHTAK and HOD Anatomy deptt---DR INDERJEET DEEWAN..3.9.1962.--14.5.1970

Dr Inderbeer Singh HOD Anatomy deptt...15.5.1970--31.8.1989

Dr B.S.Pande...1.9.1989..14.2.1992

Dr Ms Usha Shall... 15.2.1992..30.9.2007


******PGIMS , Rohtak Surte Haal....

Orthopedics Deptt.

Sanctioned consultant posts 19

Filled at present 13

Vacant..6

Senior Residents sanctioned posts 20 

Filled at present 8

Vacant 12

People should demand that Govt Of Haryana should fill vacant posts urgently so that patients care can be improved.

JSA


*****PGIMS 2002 and 2013 comparison .

PGIMS Rohtak --Some points 

Hospital statistics-- 2002

1.  OPD attendance without A&E:841196

2. A&E OPD attendance: 

77988

3. Total OPD attendance: 919184

4. Daily average OPD attendance: 3124

5. IPD attendance (admitted pts): 58884

6. Average daily admission: 

161

7. Total Deaths: 3972

8. Total Births: 5846

9. % Bed Occupancy : 85%

10. Average Stay: 6.5 days

11. Major operations: 19724

12. Minor Operations : 72847

13. Total Operations : 92571


PGIMS Rohtak --Some points 

Hospital statistics-- 2013

1.  OPD attendance without A&E:1368089

2. A&E OPD attendance: 

243047

3. Total OPD attendance: 1611136

4. Daily average OPD attendance: 5383

5. IPD attendance (admitted pts): 97472

6. Average daily admission: 

267

7. Total Deaths: 6472

8. Total Births: 9326

9. % Bed Occupancy : 90.22%

10. Average Stay: 5.56 days

11. Major operations: 31199

12. Minor Operations : 129965

13. Total Operations : 161164


***** भूली बिसरी यादें 

1978 में pgims Rohtak mein 98 days ki hadtaal hui ..उन दिनों चौधरी हरद्वारी लाल वाईस चांसलर थे। मेरे जीवन में बड़ा टर्निंग पॉइंट साबित हुई यह हड़ताल

****5 oct 13

DR P.S.MAINI, DR C.PARKASH, DR R.K.KESWANI, Dr S.K SRIVASTAVA, DR KOHLI, DR SS SANGWAN, DR C.S.DHULL --INAUGURATION OF PROGRAMME

****Dr Inderjeet Diwan, Professor and HOD Anatomy-- First Principal of Medical College Rohtak--a very dedicated person


****7 अप्रैल विश्व स्वास्थ्य Ansh 2012 को जन स्वास्थ्य अभियान हरियाणा के द्वारा पीजीआईएमएस रोहतक में सेमिनार का आयोजन लेक्चर थेटर 1 में किया गया। मुख्य वक्ता डॉ बलराम कादियान थे..

*****Dr M.M.Lal my guide of my M.S. thesis and my teacher and his dr son .Met after long time .


******Dr Amrit Lal Arora retired professor surgery being honoured on the occasion

[

****#oursocietyheroes

पूर्व वरिष्ठ प्रोफेसर सिविल सर्जन,#PGIMS, वरिष्ठ लीडर #ज्ञानविज्ञान, वरिष्ठ लीडर #AISPN, #हरियाणवीफॉल्क लेखक, #राजनीतिक व #सामाजिक #चिंतक। 

मैं बात कर रहा हूँ Dr Ranbir Singh Dahiya ji की। इतने गुणों के धनी महान शख्शियत होते हुए भी डॉ साब बहुत ही मृदुभाषी और मिलनसार हैं।

   डॉ साब #PGIMS से रिटायर होने के बाद #किशनपुरा #चौपाल और एक अन्य #गांव में फ्री #OPD लगाते हैं व जगह जगह ग्रामीणों को फायदा देने के लिए फ्री #मैडिकल #कैम्प लगाते हैं। 

इस विषय पर पिछले दिनों मेडिकल मोड़ पर सिथत हॉस्पिटल के मालिक व डॉ से मेरी बात हुई, उनका कहना था "Dr Dahiya मेरे टीचर रहे हैं मैं उनकी काबिलियत जानता हूँ, मैंने उनसे कहा है कि  आप मेरे हॉस्पिटल में सिर्फ कुछ देर बैठ जाया कीजिये, मेरे हॉस्पिटल को भी फायदा और आपके टैलेंट के साथ भी न्याय। परन्तु डॉ साब #स्वास्थ्यसेवाओं में #निजीकरण के विरोध में होने की वजह से कभी इस पर सहमत नहीं होते।

   मैं उन डॉक्टर की बात से सहमत हूँ, जब आज छोटे से छोटा डॉक्टर भी नॉकरी के साथ ही अपना #हॉस्पिटल खड़ा करना शुरू कर देता है उस दौर में डॉ दहिया एक उदाहरण हैं कि इतने बड़े मेडिकल के सीनियर सर्जन होते हुए भी अपना हॉस्पिटल न खड़ा करके लोगों को OPD और फोन के जरिये फ्री #स्वास्थ्यसेवाएं देते हैं। 

   ये इस #देश या लोगों का दुर्भाग्य ही है कि उन्हें ऐसे #महान लोगों की कद्र नहीं करनी आती। शायद अन्य किसी देश या जगह होते तो लोग पैर धो धो पीते।

   इस नाचीज का एक महान शख्सियत को सलाम🙏।


***** Dr. G.S.Sekhon , my path finder, most dedicated, dam honest, hard working,innovator,simplest personality, I donot have words to express his personality fully. Really a very daring surgeon.


******The Institute was started under the name of Medical College, Rohtak in the year 1960. For the first three years, the students were admitted to Medical College, Patiala which acted as a host Institution. In 1963, the students were shifted to Rohtak.


***** Pt. B.D.Sharma, PGIMS, Rohtak is situated at a distance of about 240 km from Chandigarh and about 70 km from Delhi on Delhi-Hissar-Sirsa-Fazilka National Highway (NH-10). It is the  only major Institution for Medical Education and Research and a tertiary care centre for provision of specialized health care services not only to the people of the State of Haryana, but also to those from  Punjab, Rajasthan, Delhi and western U.P.  The Institute was started under the name of Medical College, Rohtak in the year 1960.  For the first three years, the students were admitted to Medical College, Patiala which acted as a host Institution.  In 1963, the students were shifted to Rohtak.  In the subsequent years, multifaceted expansion measures have transformed the Institute into a fully developed center of Medical Education and research in all the major disciplines of Medicine.  In the year 1994, Medical College, Rohtak was renamed as Pt. B.D.Sharma, Medical College, Rohtak and subsequently it was upgraded to a Post Graduate Institute of Medical Sciences in the year 1995.  Today Pt. B.D.Sharma, PGIMS, Rohtak is a famous institution not only for medical education but also for the health care facilities both at the National as well as International level. 


THE INSTITUTE COMPLEX houses the following buildings:    

Medical CollegeWell Equipped Hospital of 1597 bedsSuper-specialty CentreMultislice whole body CT Scan buildingDe-addiction centerDental College and HospitalPharmacy CollegeCollege of NursingCollege of Physiotherapy

The Institute  has a remarkably well developed campus spread over an area of 350 acres of land. During the 50 years of its existence, Pt. B.D.Sharma, PGIMS, Rohtak has witnessed a phenomenal growth achieving not only its designated goals but also in expanding its horizons to set newer objectives completely commensurable with the requirements of National goal of “Health for all by 2020”.

The Institute, over the years, has developed excellent organizational structure through its statutory and non-statutory authorities resulting in establishment of a well regulated administrative machinery and achievement of excellence in academic functioning and medical research and providing high level of medical care to the patients. Just to give a glimpse of the services rendered by the hospital to the needy patients, nearly 15,36,201 patients were provided consultation and treatment in the out patient departments during the year 2010.  Out of these 96,048 patients were admitted as indoor patients. 

The expansion of the hospital campus at Rohtak has been phenomenal both in terms of academic expansion as well as providing infrastructural and other support facilities. 


New Lecture Theatre


Auditorium


Trauma Centre


Mother & Child Hospital


New Spaces OPD Block. 



****** The institution used to be affiliated with Maharshi Dayanand University, Rohtak. In the year 2008, a new state university, Pt. B.D. Sharma University of Health Sciences, Rohtak was created, and PGIMS was put under the aeges of this university. This is a state university and has authority over all medical education institutions in haryana state (Medical colleges, Dental colleges, Nursing colleges, Physiotherapy colleges, Ayurvedic colleges, Homoeopathic colleges, Pharmacy colleges).

 

[

*****मेरी पूजनीय मौसी लेट ज्ञानो  देवी (वापसी पर डॉ राज पाल गुलिया कजिन और डॉ सुशीला से मुलाकात की )

बेरी पहलम आली बेरी ना रही। मैं 1976 में बतौर Medical officer रहा कुछ दिन बेरी में । पुराणी यादें ताजा हो गयी ।


*****SO MANY MEMORIES ARE COMING TO MIND TIME AND AGAIN . LEARNT A LOT FROM DR SUBEDAR SINGH


****Our role model of seventies in Rohtak PGIMS


*****He gave us many more memories in 2005-2006 in agroha as well.

Tushir Mehta


******* On occasion of World Health Day, to remember our career makers.

Anatomy Deptt. Of PGIMS , Rohtak 

FIRST PRINCIPAL OF MEDICAL COLLEGE ROHTAK and HOD Anatomy deptt---DR INDERJEET DEEWAN..3.9.1962.--14.5.1970

Dr Inderbeer Singh HOD Anatomy deptt...15.5.1970--31.8.1989

Dr B.S.Pande...1.9.1989..14.2.1992

Dr Ms Usha Shall... 15.2.1992..30.9.2007

[03/04, 4:57 pm] Dr. Ranbir Singh Dahiya: 19 मार्च 2013

Dr Manmeet Sekhon,Dr Subedar Singh,Dr Arora,DrSukhbir Sangwan, Dr Pardeep Khanna


******April 26, 2017 ..Memories

Dr Satbir Dalal 1969 batch , Dr Vinod Chaudhary 1969 batch , Dr Surender Dalal and Dr Surender Grewal 1968 batch and me 1967 batch but a very close group of 8-10 in those days and common place was late Dr Rajender Chauhan room 234 if I remember correctly. Had lunch at tiyar and played cards at Dr S . Dalal residence. Lot of memories of those days were shared . Really very enjoying 3..4 hours time today. Knew latest about each other families .

**Dr Surinder Dalal left us in due course .

********5 Rivers Heart Association , Pind California, New Bus Stand , Bahadurgarh . 

Dr Swaiman Singh 

Free Medical Clinic is being run by Dr Swaiman Singh and his team at Tikri Border . About 7,00,000 patients have been seen at their Clinic by now. The team started its work on Nov.27th , 2020. There is a team of over 1000 doctors who see patients on rotational service . There is a provision of Telemedicine Services where the team utilise doctors from all over the world. Pts receive care from MBBS/MD board certified doctors only.

  I had a great opportunity to see Dr Swaiman Singh today at their clinic and congratulated him and his team for this great service to the farmers on behalf of JanvSwasthay Abhiyan Haryana. 

Really it is very energetic team working round the corner. It is an exemplary service being given to the farming community fighting for great cause and the nearby residents. 

The lication is at New Bus Stand , Bahadurgarh . Really three applause for the whole team .

Dr R.S.Dahiya 

Core Committee member 

Jan Swasthay Abhiyan Haryana


*****100 metres Race--1 Dr CV SINGH 2 Dr R.S.Dahiya 3 Dr ?

[03/04, 5:09 pm] Dr. Ranbir Singh Dahiya: Me and Dr M. G. Vashisht in Surgeon Conference Hyderabad

[03/04, 5:11 pm] Dr. Ranbir Singh Dahiya: Dr S.K.S Marya ex HOD Surgery Deptt. PGIMS Rohtak being honoured on the occasion


****** OLD MEMORIES

Dr Pooja, Dr Neha, Dr Nityasha, Dr R.S.Dahiya, Dr Sameer Anand, Dr Deepanshu, Dr Robert, Dr Sanjeev, Dr Chander Bhan, Dr Raju Rajan, Dr Kuldeep, Dr Puspender Sarwa, Dr Jai Karan --SURGERY UNIT IV FAMILY-A DEDICATED TEAM INDEED


******Why female foeticide in Haryana --A study by Dr Sabu George and Dr R. S. Dahiya


*****Dr V.K.Jain SrProfessor Skin and V.D. deptt. and Pro Vice Chancellor UHS Rohtak releasing a pamphlet for public awareness on the occasion of Anti Tobacco Day in OPD organised by Association of Thoracic and Vascular Sugeon's of India and" Search" State Resource Centre Haryana . Also he inspected an exhibition displayed in OPD .

30 may 2015


*****Dr Anita Sharma on occasion of 1992 batch meet at PGIMS Rohtak


 ******1. Meri do chintayen hain ki yadi is case mein koyee laparvahi hai to buerocrats ki bajaye bahar ke daktaron ki enquary ke liye team banayee jaye 

2 . Pichhle opd par mera ek jankaar mareej orthopedics mein dikhane gaya tau 10 baje ke aas pas dr z.s kundu  93 mareej opd mein dekh chuke they.

3. Kal ki opd mein medicine opd mein  jahan  Dr Harpreet bhi the , ke paas 12 baje tak 500 se jyada  mareej  register ho chuke they . Itne mareej hone par Dr Harpreet jaise daktaron ko peetne ke haalaat to vahan paida ho gaye they . Mujhe dar hai ki kabhi bhi koyee bhi imandaar daktar bhid ki chaped mein aa sakta hai . Black sheep's fir bhi bachi rahtee hain . Had darje ka commercialisation health sector mein pichhli aur vrtmaan sarkaar ne kar diya hai mareej ek insaan nahin paisa kamane ka khilauna bana diya hamaree polices ne. 

Mudde bade hain .Issues are big.

Do daktaron ko fansee dawa kai bhi system to koni badlai . Aur iss system ke chalane vale mafia mareej aur daktar ke beech kee unke  dwara paida ki gayee khayee ka yoon hi lutf uthata rahega.

I purpose 

SAVE PGIMS group to discuss various issues frankly but soberly .

Waiting for your comments .

Ranbir 

9812139001

ON THE OCCASION OF 2 JUNE 2014 CULTURAL EVENING

3 weeks away from Ward No 6 , seems to be 3 years gap. Really miss all the team .

***** Dr. Prem Chandra , Professor and Head Ophthalmology, PGIMS and Director Principal Govt Medical College Rohtak. A very dedicated and honest human being along with so many qualities.


*****27.12.2014 surgeon conferance at Hyderabad.

[04/04, 6:26 pm] Dr. Ranbir Singh Dahiya: PGI Chandigarh  (Faculty) Sanctioned posts are 728

PGIMS Rohtak sanctioned posts are 595


2014-2015 PGI

Total beds 

Chandigarh ..1948

Rohtak...1710

 Session.. 1

MEDICAL AND HEALTH CARE EDUCATION 

Chair: Professor .R.S.Dahiya,Former hod unit Surgery, & Controller of Examinations, UHS Rohtak.

Prof.M.Rama Devi , Gandhi Medical College, Hyderabad, JVV Telangana

"Current Crisis &Policy Challenges.

Professor V.R.Muraleedharan ITI Chennai, ,Dept. Of Humanities.

Dr Rahul , Medical Officer ,Kerala Medical Services. KSSP 

Presentation and discussion

 

*****Dr JSBhargava was born on 3.8.1938. Joined service in 1964. He served PGIMS Rohtak for 34 years and retired on 31.8.1998 as professor of surgery and unit head . He was life member of ASI and president of thoracic and vascular surgery a chapter of ASI. He left all of us on 21.2.2015. He is servived by his wife , son and daughter . Me and Dr MG Vashisht attended his kirya ceremony at delhi today.


******Happy moments :

Playing Tambola with my revered teachers

Dr Y.L.Vasudeva, Prof & Head SPM

Dr  C.Prakash, Director Medical College Rohtak

Dr J.L.Sharma , Associate Professor in Ophthalmology

and M.B., B.S. students during Hostel indoor games 1983.


 *****बहुत अफ़सोस है कि ज्ञान विज्ञान  अंदोलन  के पुरोद्धा डॉ बलदेव सिंह हमारे बीच नहीं रहे ।  उनका दाह संस्कार आज सुबह 11 बजे शिला बाई पास वाले शमशान घाट पर किया जायेगा ।


*****Dear sir,

At present I am Principal cum Dean, Muzaffarnagar Medical College, Muzaffarnagar.

Regards.

Dr Rohtas Kanwar Yadav


*******वार्ड  6-- भूली बिसरी यादें 

एक बार की बात की झरौट के बुजुर्ग अपनी घरवाली को लेकर आये । उसकी एक टांग में गैंग्रीन हो गई बायीं या दायीं याद नहीं। हमने सभी concerned विभागों की राय ली और यह तय हुआ कि amputation करनी होगी । ताऊ को समझाया। कटने की बात सुनकर दोनों घबरा गए । ताऊ मेरे कमरे में आया और हाथ जोड़ कर खड़ा हो गया। मैने बिठाया और उसकी और देखा। " काटनी ए पड़ैगी डॉ साहब। और कोए राह कोण्या इसकी ज्यान नै खतरा करदेगी या गैंग्रीन -- मैंने जवाब दिया बहुत धीमे से। ताऊ बोल्या-- न्यों कहवै सैं अक गुड़गांव मैं शीतला माता की धोक मारकै ठीक होज्यां हैं। मैंने कहा-- मेरी जानकारी में नहीं। ताऊ-- एक बार जाना चाहवैं सैं। फेर आपके डॉ न्यों बोले-- LAMA होज्या । छुट्टी कोण्या देवें । और फिर हमारे वार्ड में दाखिला नहीं हो सकता। चाहूँ सू आप के वार्ड मैं इलाज करवाना। मैने कहा एक शर्त है-- जै इसकी टांग धोक मारकै ठीक होज्या तो भी लियाईये और नहीं ठीक हो तो भी। ठीक होगी तो मैं बाकी के इसे मरीज भी वहीं गुड़गांव भेज दिया करूंगा और ठीक न हो तो आप ये सारी बात एक पर्चे में लिखकर बांटना कि वहां मेरी घरवाली ठीक नहीं हुई। हम ने discharge on request कर दिया । दो दिन बाद वापिस आ गया । महिला की हालत ज्यादा खराब हुई थी। खैर amputation ortho विभाग  के सहयोग से की और महिला ठीक होकर चली गयी । बुजुर्ग जाने से पहले आया कमरे में और कहने लगा-- पर्चा छापना चाहूँ सूँ फेर गांव वाले कह रहे हैं शीतला माता 

 के खिलाफ पर्चा। बहोत दबाव सै मेरे पै डॉ साहब । पैरों की तरफ हाथ किये । मैने बुजुर्ग को छाती से लगा लिया और आशीर्वाद देने को कहा।


*****दूसरी से पांचवी क्लास जाट प्राइमरी स्कूल रोहतक से पास की। मास्टर जी फतेह सिंह दलाल शुरू में फिर साथ में सूरजमुखी बहिनजी, बाद में मास्टर जी दलजीत सिंह राठी  भी गुरुजन थे।


****** भुली बिसरी यादें 

सन 1956 की बात है की मेरे पिताजी चौधरी जागे राम सिरसा से बतोर इंस्पेक्टर एग्रीकल्चर की पोस्ट से  बतौर फार्म मैनेजर सरकारी एग्रीकल्चर फार्म रोहतक में तबादला हो कर आए। यह फार्म 100 एकड़ जमीन में बना सरकारी एग्रीकल्चर फार्म था , जिसमें हर तरह की खेती की जाती थी । चार जोड़ी हट्टे कट्टे बैल थे जो खेती करने में  बहुत कारगर रूप से इस्तेमाल किए जाते थे ।  पिताजी 1966 तक यहां पर रहे और यहीं से रिटायर हो गए।  आने वाले दिनों में यह फार्म नहीं रहा और जमीन कुछ बेच दी गई कुछ पर सरकारी दफ्तर खुलते गए और सरकारी अफसरों के रहने के लिये कोठियां और मकान बनते गए। सिरफ़ एग्रीकल्चर फार्म का मेन गेट बचा है जो कमिश्नर के  रेजिडेंस और दफ्तर दोनों यहां हैं, तक जाता है बाकि एग्रो मॉल इसकी जमीन में बना और कई कॉलोनी भी बन गई । बहुत से मकान हैं । दो पीपल के पेड़ आज भी पहचाने जा सकते हैं जो हमारे घर के सामने मौजूद थे। भूली बिसरी यादें हैं पूरे फॉर्म में घूमते थे। पिताजी बहुत सख्त मिजाज थे और फार्म के खेत से चूसने के लिए गन्ने भी नहीं लाने देते थे। बोहर वालों के खेतों से लेकर आते थे।  और चीजों का तो मतलब ही नहीं । यहीं से मैं


*******ALUMNI HONOR THEIR REVERED TEACHERS

रोहतक, 28 जनवरी। जिस समाज में शिक्षकों-गुरूजनों का उचित सम्मान होगा, वही समाज तरक्की करता है। कुछ इस भावना के साथ आज जाट हाई स्कूल के पूर्व विद्यार्थियों ने सेवानिवृत प्रतिष्ठित शिक्षकों तथा वर्तमान शिक्षकों को एक समारोह में सम्मानित किया। इस स्कूल के 1970 बैच से मैट्रिक पहले के विद्यार्थियों ने नामी-गिरामी शिक्षकों-स्व. हरनंद राय, देवी सिंह, जिले सिंह, रामधारी सिंह, बलबीर सिंह दलाल, होशियार सिंह, चेतराम मलिक, आनंद सिंह तथा भोपाल सिंह को शिक्षक गौरव पुरस्कार-सम्मान से नवाजा। इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक के पूर्व कुलपति तथा संप्रति अंसल यूनिवर्सिटी, गुडग़ांव के कुलपति प्रो. राज सिंह धनकर उपस्थित रहे। 

 मुख्य अतिथि प्रो. राज सिंह धनकर ने अपने विचारोत्तेक भाषण में कहा कि ज्ञान लेना आसान कार्य नहीं। सही मायने में ज्ञान प्राप्ति के लिए ज्ञान प्राप्ति की भूख होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों में विनयशीलता होनी चाहिए। साथ ही, गुरूजनों के प्रति समर्पण भाव होना चाहिए। उन्होंने कहा कि बतौर विद्यार्थी हम अपने स्कूल से, अपने शिक्षकों से लेने का कार्य करते हैं। जरूरत है कि हम जीवन में अपनी मंजिल तय करने उपरांत समाज को देना भी सीखें। प्रो. धनकर ने कहा कि शिक्षा एक वैश्विक धरोहर है। स्कूल शिक्षण पद्धति में सुधार की काफी गुंजाइश है। इस पद्धति को समकालीन बनाने तथा इसमें व्यावहारिक ज्ञान एवं टैक्नोलोजी-बेस्ड-लर्निंग को समाहित करने की बात प्रो. धनकर ने कही। शिक्षण संस्थानों से राजनीति को दूर रखने की जोरदार वकालत प्रो. राज सिंह धनकर ने की। 

 इस शिक्षक गौरव सम्मान कार्यक्रम में स्व. हरनंद राय जी की ओर से सम्मान पुरस्कार उनके पुत्र महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के कुलपति हर सरूप चहल ने ग्रहण किया। इस अवसर पर श्रीमती सरला चहल को भी शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया। 

 इस कार्यक्रम का बेहतरीन संचालन कुलबीर मलिक ने किया। पूर्व विद्यार्थी डा. रणबीर सिंह दहिया, प्रो. दिनेश दधीची, अधिवक्ता भगत सिंह मलिक, कामरेड इंद्रजीत सिंह, डा. जे.पी. चुघ, ईश्वर सिंह धनखड़, आदि ने अपने प्रिय शिक्षकों की मधुर यादों को सांझा किया। सेवानिवृत शिक्षक चेतराम मलिक ने इस अवसर पर कहा कि शिक्षक और विद्यार्थी एक दूसरे के पूरक हैं। उनका कहना था कि अच्छे शिक्षक में लव फॉर लर्निंग तथा लव फॉर लर्नर दोनों होना चाहिए। जाट हाई स्कूल के पूर्व विद्यार्थी तथा 1970 में बोर्ड टॉपर रहे प्रो. दिनेश दधीचि ने कार्यक्रम में अपने संबोधन से माहौल को भाव प्रवण बना दिया। उन्होंने कविता- अभी कैसे चला जाऊं का पाठ कर शिक्षकों के योगदान को रेखांकित किया। 

 कार्यक्रम के अंत में आभार प्रदर्शन जाट हाई स्कूल एलुमनी एसोसिएशन के प्रधान डा. रणबीर सिंह दहिया ने किया। कार्यक्रम में जाट हाई स्कूल के हैडमास्टर रामभज तथा वर्तमान शिक्षकों को सम्मानित किया गया। कई सेवानिवृत शिक्षकों की पत्नियों को भी शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया। 

 इस कार्यक्रम में कैप्टन शमशेर सिंह मलिक, इंद्र सिंह हुड्डा, डा. सत्यपाल चुघ, डा. जितेन्द्र वधवा, प्रो. अश्विनी शर्मा, कुलतार मलिक समेत अनेक पूर्व छात्र, मदवि के निदेशक जनसंपर्क सुनित मुखर्जी, मीडिया कर्मी गण, आदि मौजूद रहे। कार्यक्रम में मदवि की प्रथम महिला श्रीमती सरला चहल ने भी संबोधन किया। शिक्षकों के गौरव को समाज में पदस्थापित करता हुआ पूर्व विद्यार्थियों को यह विशेष प्रयास मधुर यादें छोड़ गया तथा वर्तमान विद्यार्थियों को प्रेरित कर गया।


 ******मुख्य अतिथि डॉ राज सिंह धनखड़ भूतपूर्व कुलपति एम.डी .यू. रोहतक ।

शिक्षक सम्मान समारोह जाट स्कूल रोहतक 

पूर्व छात्र संघ जाट स्कूल रोहतक ।


***** सिरसा मॉडल स्कूल एक साल पहले शुरू हुआ था। उसमें पहली कक्षा में दाखिला लिया । पहली क्लास वहां से पास की। डाकखाने वाली गली में किराए के मकान में रहते थे।

राधे श्याम दोस्त था। उसके पिता जी डाकखाने में कर्म चारी थे। चौधरी बदलू राम तहसीलदार थे। सरदार प्रीतम सिंह बेलदार था जो अपने काम के प्रति बहुत सजग था। रोहतक एग्रीकल्चर फार्म में पिताजी का तबादला हो गया

 टरक में भरकर सामान सिरसा से रोहतक़ आये तो हमारे साथ आये प्रीतम जी।

*****फार्म पर एक चौकोर आकर में 15-20 क्वार्टर दफ्तर और स्टोर थे। बैल बांधने की भी जगह थी।


****चौधरी ननद लाल , चौधरी छोटूराम सबइंस्पेक्टर थे । दुजाना और सांपला वाली गढ़ी से थे।

 *****अमीलाल, इस्माइल, सुखी राम, ख्यालिया, और एक और बेलदार व सफाई कर्मी थे।


***** रामदास लैब तकनीशियन थे।


******प्यारे लाल और रिसाल सिंह दो मुजायरे भी थे।


****हमारा घर इस चौकोर इमारत से बाहर था। सामने कुआं था जिसका पानी खारा था। कई पेड़ थे। दो पीपल, एक आम और एक जामुन अभी भी याद हैं ।


****कोठी के साथ कुछ जमीन भी थी जिसमें सब्जी वगैरह लगवा लेते थे

 ****कोठी के पश्चिम में एक राउंड आकर में जाट शिक्षण संस्थाओं के क्वार्टर्स थे। श्री बनवारी लाल, मास्टर जगदीश चन्द्र, प्रोफेसर हुकम सिंह, मास्टर --,मास्टर हरि सिंह, मास्टर धर्म सिंह, हेड मास्टर हर ननद राय, पशुओं के बंधन की जगह,प्रोफसर राम सिंह, दो क्लर्क।


 ****जाट स्कूल के तीन तरफ ग्राउंड थे। उत्तर में प्रार्थना ग्राउंड, पश्चिम हॉकी ग्राउंड

पूर्व खेत। पश्चिम फुटबाल और रेस ग्राउंड

***बॉयज होस्टल दो फिर मेस और मेस में मुस्सदी की दुकान


**** असप्ताल में घसीटा की सेवा पट्टी करने का माहिर।


 *****आज बहुत दिनों बाद एनोटमी विभाग के लेक्चर थिएटर  वन में 2 घण्टे के लिए जाने का मौका मिला । 1967 कि यादें ताजा हो गई । पुरानी यादें ; पुराने अध्यापक : डॉ इंदरजीत दीवान, डॉ इंद्रबीर सिंह , डॉ छिबर, डॉ गांधी, डॉ राठी याद आ गए। 67 बैच के साथी भी दिमाग में घूम गए । सुशील खुराना, आर एन कालरा, अशोक भाटिया, दयासागर गोयल, हरीश भंडारी , रमेश मित्तल, ईश्वर नासिर, रीटा गुलाटी, कर्मजीत कौर, कृष्णा सहरावत , स्वर्ण लता, विमला कादयान आदि आदि।

**** सिक्योरिटी मैन

          आज सुबह 11 बजे के करीब अपनी पास बुक अपडेट करवाने के लिए निकला। बहुत ही हल्की सी फुहार आ रही थी। मेडिकल मोड़ फिर मैडीकल की स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की ब्रांच के सामने पहुँच गया। स्कूटी खड़ी करने की जगह ही नहीं नजर आ रही थी। मुश्किल से एक जगह पर जबरदस्ती सी करके स्कूटी खड़ी की। बैंक पहुंचा तो देखा आज ज्यादा भीड़ नहीं थी । मैनेजर साहब से दुआ सलाम हुई। फिर एक खिड़की पर पूछा पास बुक अपडेट करवानी है तो बताया कि आखरी टेबल पर चले जाओ। वहां पहुंचकर पास बुक दे दी और पास पड़ी नॉन कुशंड चेयर्स पर बैठ गया। 

           इतनी ही देर में एक सिक्योरिटी गार्ड ने दुआ सलाम किया और मैने जवाब दिया। वह और नजदीक आ गया और मेरा हाल चाल पूछा । फिर अपने आप बताने लगा कि आप ओपीडी में मरीज को अस्पताल में मिलने वाली दवाई ही लिखते थे बाजार की दवाई नहीं लिखते थे। यदि कोई दवाई नहीं होती थी तो फ़ोन करके डिस्पेंसरी में पूछते थे कि यह दवा नहीं तो इसकी जगह कौनसी है तो वही दवाई लिखते थे। कई बार बहुत याद आते हो जी। आज आप से मिलकर बहुत अच्छा लगा। मैने यही कहा ईसमें क्या खास बात थी यह तो मेरी ड्यूटी थी। उसने फिर कहा कि हमारे लिए तो बहुत खास बात थी। 

         मैंने पास बुक अपडेट करवाई । कुल मिलाकर 11 लाख  कुछ हजार हैं मेरी सारी जिंदगी की कमाई में से बची मेरी धरोहर। स्कूटी उठाई और चल पड़ा। पी जी आई ने ही मैं आज जो भी हूँ मुझे बनाया। इसका अहसान नहीं उतारा जा सकता ।

रणबीर 

19.8.2017

Saturday, May 30, 2020

working

सिरसा में 1954 -1956 के बीच रहे हम 

Monday, May 18, 2020

मैडीकल ठेके पै

KHAREE KHOTEE
मैडीकल ठेके पै
 मैडीकल नै आजकाल पी जी आई कहवण लागगे। न्यों कहवैं सैं अक सरकार नै इसका औधा बधा दिया। बाकी सब किमै न्यों का न्यों तै नाम बदलण की बी के जरूरत थी। हरियाणे का इकलौता मैडीकल पर अखबारां आले इसके पाछै पड़े रहवैं सैं। आजकाल मैडीकल आल्यां कै एक धुन और सवार होई सै। या धुन आई तै वर्ल्ड बैंक धोरे तै चाल कै सै पर आड़े के कार मुख्त्यार इसनै निखालस अपणे दिमाग की उपज बतावैं सैं। सुद्ध हरियाणवी अर और बी सही कही जा तै सही रोहतकी। या धुन सै सब किमै ठेके पै देवण की। पहलम कैन्टीनां का ठेका उठ्या करता, स्कूटर स्टैंड का ठेका उठता देख्या फेर इबतै ठेक्यां का कोए औड़ै कोण्या रह्या।
 मैडीकल कालेज मैं रहणियां की सबकी सारी हाण घिग्घी बन्धी रहवै सै। कदे इस डाक्टर कै घरां चोरी तै कदै उस डाक्टर के घरां चोरी। कदे स्कूटर की चोरी तै कदे कार की चोरी की सीनाजोरी। अस्पताल मैं वार्डां मैं मरीजां के रिश्तेदारां की सामत आई रहवै सै रोज, ओ पी डी मैं बीमारी की मार फेर ऊपर तै भीड़ की लाइन की मार अर सोने पै सुहागा यो अक पाकेट मारां की मार। डाक्टर मरीजां पै वार करैं अर जेब कतरे मरीजां अर डाक्टरां दोनूआं पै दया दृष्टि राखैं सैं अपनी। चोरी की बी देखी जा माणस और मेहनत करकै कमा ले।
 आजकाल एक साक्का और बधग्या। महिला चाहे डाक्टर हो चाहे नर्स हो, चाहे स्वीपर हो अर चाहे मरीज हो अर चाहे पढ़ण आली हो, उसकी गेल्यां बहोतै भुण्डी बणै सै। राह चालदी औरतां नै छोरियां नै छेड़ना बधता जावण लागरया सै। बदमासां के टोल के टोल हांडे जावैं सैं। कोए रोक टोक ना। कई डाक्टर अर नर्स बतावैं सैं अक कई बर तो ड्यूटी पै उनकी गेल्यां बहोतै भुण्डी बणै सै। कई महिला मरीजां अर उसकी रिस्तेदार देखभाल करण आली औरतां की मजबूरी का फायदा ठावन्ते लोग वार नहीं लावन्ते। लेडी डाक्टर अर नर्सां के छात्रावासां मैं भी असामाजिक तत्वां की घुसपैठ दिन पै दिन बधती जावण लागरी सैं। सुरक्षा के प्रबन्ध बहोतै ढीले बताये अर पुलिस चौकी (मैडीकल आली) पै तै दिन छिपे पाछै सोमरस का भोग लाकै घणखरे पुलिस आले राम की भक्ति मैं लीन हुए पावैं सैं। कई बै ये सवाल उठे अर आखिर मैं प्रशासन के समझ मैं आगी अक मैडीकल की सुरक्षा का काम ठेके पै दे दिया जा तो चोरी जारी अर बदमाशी पै कंट्रोल कर्या जा सकै सै। देखियो कदे जिन ताहिं ठेका दिया जा वोहे चोहदी के बदमाश लिकड़याए तै के मण बीघै उतरैगी?
 कई बै जिब मरीज धोई औड़ बैड सीट मांगले कै ड्राई क्लीन कर्या औड़ साफ काम्बल मांगले तै उसनै नहीं मिल सकता चाहे मंत्री ताहिं की सिफारिस करवा कै देख ले। अर मंत्री बी उस एक मरीज की खातर तै टैलीफोन कर देगा फेर बाकी भी तै मरीज सैं इस मैडीकल मैं उनकी चिन्ता ना मन्त्रियां अर ना मुख्यमंत्री जी नै। जड़ बात या सै अक साफ बैड सीट का जिकरा चालै तै लाण्ड्री का जिकरा चाल पड़ै अर इसकी मसीन 30 साल पुरानी, बदलै कूण? तै प्रशासन मैं बैठे लोग फेर न्यों कैहदें सैं अक कपड़यां की धुलाई का काम भी ठेके पै देण की प्लान बणन लागरी सै।
 वार्डां की सफाई का मसला हो चाहे बाथरूमां की सफाई का मसला हो अर चाहे प्रेशन तै पहलम मरीज के बालां की सफाई का मसला हो, इन सारे कामां खातर ठेकेदारी प्रथा की वकालत करणिया बहोत पैदा होगे हरियाणा मैं। तै फेर तै सारा ए मैडीकल ठेके पै छुटा दिया जा। सरकार का 32 करोड़ का बजट बच ज्यागा अर 30-40 करोड़ रुपइये मैं इसका ठेका उठैगा। इसी तंगी के बख्तां मैं सरकार ने 72 करोड़ का फायदा हो सकै सै इस दवाई तै। ठेके पै काम तै डाक्टरां की ‘स्टीराइड’ आली रामबाण दवाई सै बेरा ना इब ताहिं सरकार की समझ मैं क्यों नहीं आली ?
 जनता का के होगा? इसकी परवाह ना सरकार नै सै अर ना खुद जनता नै सै। अर जै न्यों ए चालता रहया तै पहलम तै पूरा मैडीकल ठेके पै ठवाया जागा। फेर न्यों ए एक पूरा जिला ठेके पै चलावण की बात बी चाल सकै सै अर फेर पूरा हरियाणा अर फेर कदे पूरा भारत देश ठेके पै जावैगा।
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ranbir dahiya

ARDH KANWARI KA ANUBHAV

पुरानी यादें 
24 -25 साल पहले की बात है । नार्थ जोन सर्जन कांफ्रेंस जम्मू में आयोजित की गई थी । रोहतक से 25-30 डॉक्टर थे । एक दिन सभी का मन वैष्णो देवी मंदिर की यात्रा का बना। मैने मना किया तो सभी ने अनुरोध किया कि चलें । हम चल दिये । 
       अर्ध कन्वारी से कुछ पहले 4-5 महिलाएं और 5-6 पुरुष परेशान से दिखाई दे रहे थे। हमारे में से किसी ने पूछा-क्या बात है क्या हुआ। 
बताया- उनके एक बुजुर्ग पेशाब करने बैठे थे और वे नीचे खाई में लुढ़क गए हैं । उन्हें देखने गए हैं। 
       हमने भी बुजुर्ग को ढूंढने की इच्छा बनाई और 5-6 डॉक्टर हम नीचे उतरते चले गए । 150 गज के करीब नीचे उतरने के बाद हमने आवाज लगाई कि क्या बुजुर्ग मिल गए। और नीचे से आवाज आई- हाँ मिल गए। हमने पूछा- कैसी तबियत है? जवाब आया- ठीक हैं। उप्पर रास्ते में खड़े लोगों ने सुना तो कुछ जय माता की बोलते चले गए।
         हमने फिर पूछा कि हम डॉक्टर हैं कोई चोट है तो हम आ जाते हैं मदद करने । बताओ कहाँ पर हो।
फिर आवाज आई थोड़ी धीमी - वो तो चल बसे । इतनी देर में हम भी वहां पहुंच गए थे। पूछा- पहले ठीक क्यों कहा ? जवाब था कि ऊपर वाले रिश्तेदारों में से किसी को सदमा न लग जाये इसलिए । 
        कुछ लोगों को तो लगा कि माता ने उस बुजुर्ग को बचा लिया। मगर सच्चाई यही थी कि माता उस बुजुर्ग को नहीं बचा पाई। 
      मैने सभी डॉक्टर सहयोगियों से पूछा -- यदि बुजुर्ग जिंदा होते और चोटिल होते तो हम क्या फर्स्ट एड कर सकते थे । सब ने अपने अपने ढंग से बात रखी। मैने फिर कहा- बिना इमरजेंसी किट के शायद हम ज्यादा फर्स्ट एड करने की हालत में नहीं होते।
         हम सबने तय किया कि जब इस तरह के ग्रुप में कहीं जाएंगे तो इमरजेंसी किट जरूर साथ लेकर चलेंगे । 
बाकियों का तो पता नहीं मैने एक किट जरूर बना ली । 
तीन साल बाद वही कांफ्रेंस पी जी आई चंडीगढ़ में थी। कालेज की बस में गए थे हम सब । वापसी पर अम्बाला पहुंचने से पहले हमारे सामने ट्रैक्टर सड़क के किनारे पलट गया। हमने गाड़ी रुकवाई ।
    ड्राइवर ट्रैक्टर के पहिये के नीचे दबा था । हमने सबने मिलकर उसको निकाला और देखा तो वह शॉक में था । मैं ने इमरजेंसी किट से उसे मेफेंटीन इंजेक्शन दिया और एक वोवरान का inj दिया । कुछ संम्भल गया मरीज । हमने उसे अपनी गाड़ी में लिटाया और उसे अम्बाला सिविल अस्पताल में दाखिल करवाया । इलाज शुरू हुआ तो मरीज और इम्प्रूव हुआ ।
   3 साल तक लगता था यह किट खामखा उठाये फिरता हूँ मगर उस रोज लगा कि खामखा नहीं उठाई किट ।
शायद जो डॉक्टर साथी इन दोनों मौकों पर थे उनको याद हों ये दोनों घटनाएं ।

रणबीर दहिया

Beri ka anubhav

पुरानी यादें --मेरे बॉस डॉ सेखों 
1976 -1977 का दौर 

मेरी पोस्टिंग spm deptt की तरफ से सिविल अस्पताल बेरी में कर दी गई। सिविल अस्पताल के अलावा लेडीज का विंग भी था बाजार के अंदर जा कर । उसमें एक बुजुर्ग महिला फार्मासिस्ट की पोस्टिंग थी। designation दूसरा भी हो सकता है । वहां से सन्देश आया शाम के वक्त कि एक मुश्किल डिलीवरी है और डॉक्टर साहब को बुलाया है। मैं सोचता जा रहा था कि डेढ़ महीने की  maternity ड्यूटी में 5 या 6 डिलीवरी देखी थी। सोचते सोचते पहुंच कर देखा कि breech डिलीवरी थी। monaster था। चार टांगे , चार बाजू , धड़ एक और दो सिर वाला। चारों टांगे और दो बाजू डिलीवर हो चुकी थी। देख कर पसीने छूट गए। एक मिनट सोचा कि मेडिकल भेज दिया जाए। फिर सोचा इस हालत में कैसे भेजेंगे? अगले ही पल सोचा कोशिश करते हैं । मन ही मन Dr GS Sekhon मेरे बॉस याद आ गए। वे कहते थे कि कितना भी मुश्किल मामला हो अपनी कॉमन सैंस को मत भूलो और पक्के निश्चय के साथ शांत भाव से जुट जाओ । जुट गया । जल्दी लोकल लगाकर  episiotomy incision दिया और निरीक्षण किया। महिला का हौंसला बढ़ाया। बाकी के दो बाजू डिलीवर करने में 15 मिन्ट लगे । पसीने छूट रहे थे । खैर फिर मुश्किल से एक सिर और डिलीवर करवाया। फिर भी कुछ बाकी था । देखा अच्छी तरह तो एक सिर अभी बाकी था और पहले वाले सिर से कुछ बड़ा था । कोशिश की । episiotomy incision को extend किया । 15 से 20 मिन्ट की मश्शक्त के बाद दूसरा सिर भी डिलीवर हो गया । monaster था डेथ हो चुकी थी। मगर हम महिला को बचा पाए। पता लगता गया कि दो सिर चार बाजू चार टांगो वाला बच्चा पैदा हुआ है । कौतूहल वश बहुत लोग इकट्ठे हो गए थे। 6 महीने के बाद वापिस spm deptt में आ गया । 2-3 साल के बाद एक हैंड प्रोलैप्स का केस रेफ़ेर हुआ मेडिकल के लिए । रहडू पर लिटा कर बाजार के बीच से ले जा रहे थे तो किसी ने पूछा के बात कहां ले जा रहे हो। बताया कि एक हाथ बाहर आ गया । मेडिकल ले जा रहे हैं । तो अनजाने में उस बुजुर्ग ने कहा - एक बख्त वो था जिब चार चार हाथां आले की डिलीवरी करवा दी थी, आज एक हाथ काबू कोनी आया। किसी ने बताया था जब वह मरीज मेरे पास 6 वार्ड में दाखिल था । मेरे को मेरे बॉस Dr सेखों एक बार फिर याद आये। बहुत अलग किस्म की इंसानियत के धनी थे Dr सेखों।

वार्ड 6-- भूली बिसरी यादें

वार्ड  6-- भूली बिसरी यादें 
एक बार की बात की झरौट के बुजुर्ग अपनी घरवाली को लेकर आये । उसकी एक टांग में गैंग्रीन हो गई बायीं या दायीं याद नहीं। हमने सभी concerned विभागों की राय ली और यह तय हुआ कि amputation करनी होगी । ताऊ को समझाया। कटने की बात सुनकर दोनों घबरा गए । ताऊ मेरे कमरे में आया और हाथ जोड़ कर खड़ा हो गया। मैने बिठाया और उसकी और देखा। " काटनी ए पड़ैगी डॉ साहब। और कोए राह कोण्या इसकी ज्यान नै खतरा करदेगी या गैंग्रीन -- मैंने जवाब दिया बहुत धीमे से। ताऊ बोल्या-- न्यों कहवै सैं अक गुड़गांव मैं शीतला माता की धोक मारकै ठीक होज्यां हैं। मैंने कहा-- मेरी जानकारी में नहीं। ताऊ-- एक बार जाना चाहवैं सैं। फेर आपके डॉ न्यों बोले-- LAMA होज्या । छुट्टी कोण्या देवें । और फिर हमारे वार्ड में दाखिला नहीं हो सकता। चाहूँ सू आप के वार्ड मैं इलाज करवाना। मैने कहा एक शर्त है-- जै इसकी टांग धोक मारकै ठीक होज्या तो भी लियाईये और नहीं ठीक हो तो भी। ठीक होगी तो मैं बाकी के इसे मरीज भी वहीं गुड़गांव भेज दिया करूंगा और ठीक न हो तो आप ये सारी बात एक पर्चे में लिखकर बांटना कि वहां मेरी घरवाली ठीक नहीं हुई। हम ने discharge on request कर दिया । दो दिन बाद वापिस आ गया । महिला की हालत ज्यादा खराब हुई थी। खैर amputation ortho विभाग  के सहयोग से की और महिला ठीक होकर चली गयी । बुजुर्ग जाने से पहले आया कमरे में और कहने लगा-- पर्चा छापना चाहूँ सूँ फेर गांव वाले कह रहे हैं शीतला माता 

 के खिलाफ पर्चा। बहोत दबाव सै मेरे पै डॉ साहब । पैरों की तरफ हाथ किये । मैने बुजुर्ग को छाती से लगा लिया और आशीर्वाद देने को कहा।

खून की जात ?


 आज के हरियाणा मैं जातां के ठेकेदार इतने पैदा होगे अक बूझो मतना। सब अपणी-अपणी जात्यां के सिस्से बढ़िया से फ्रेम मैं लवा कै कौम की सेवा करण की सूं खान्ते हाण्डैं सैं। ईसा लागै सै कई बै तो जणो पूरा ए हरियाणा जात्यां मैं बंट कै खड्या होगा अर जो माणस जातपात मैं यकीन नहीं करता उसनै हरियाणा मैं रैहण का कोए हक नहीं बचरया। गामां मैं भी माणस जात पै, गोत पै, कसूती ढाल तनकै खड़े होज्यां सैं। जागां-जागां हरिजनां के बान्ध बान्धे जाण लागरे सैं। जात के नाम पै बलात्कारी बचाए जाण लागरे सैं। निकम्मे अर चोर, ठग जात का साहरा लेकै चौधरी माणस बणे हांडैं सैं। ब्लैक करकै चौखा पीस्सा कमा लिया। दो चार पहलवानां नै गेल्यां कर लें सै अर जात के ठेकेदार। इनके तले ताहिं तलियार बी न्योंए सैं।
 ईसा ए जात का एक ठेकेदार, तप्या औड़ माणस था चौधरी रमलू। उसकी फुंकाड़ मैं घास जल्या करती। मजाल सै कोए हरिजन उसकी बैठक मैं खाट पै बी बैठ ज्या। उसके खेतां मैं कोए पां टेक कै तो दिखा द्यो। बेरा ना किसे हरिजन के बालक नै उसकै बचपन मैं किसी चोंहटकी भर राखी थी अक हरिजन का नाम आया नहीं अर ओ फड़क्यां नहीं। के होया अक भाई नै भैंसा की डेरी खोलण का सौक चढ़ग्या। झीमरां का बालक धार काढ़ण ताहिं राख लिया। कुछ दिन पाछै ओ बीमार होग्या तो धार कूण काढ़ै। पड़ौस मैं हरिजना का गाभरू छोरा अत्तर था। पांच सात दिन उसनै धार काढ़ी। एक दिन उसकी मां रमलू कै घरां किमै मांगण चाली गई तै रमलू की बहू किढ़ावणी मां तै दूध काढण लागरी थी। अत्तर की मां बी ऊंकै धोरै जा खड़ी हुई तै उसका पल्ला किढ़ावणी कै लागग्या। तो फेर के था रमलू की बहू नै तो जमीन असमान एक कर दिया। म्हारी किढ़ावणी बेहू करदी अर और बेरा ना के के। अत्तर की मां बिचारी कुछ नहीं बोली पर मनै मन न्यों सोचण लाग्गी अक जिब मेरा छोरा धार काढ़ै तो बाल्टी बी बेहू ना होन्ती अर ना दूध बेहू होन्ता अर मेरे पल्ले तै किड़ावणी बेहू होज्या सै।
 थोड़े दिन पाछै रमलू चौधरी करड़ा बीमार होग्या। बवासीर की तकलीफ थी खून घणा पड़ग्या। लाल मुंह था ओ जमा पीला पड़ग्या। चालण की आसंग रही ना। घरके मैडीकल मैं लेगे। उड़ै जान्तें ए तो डाक्टरां नै खून चढ़ाण की बात करी। ब्लड बैंक मैं उसके नम्बर का खून ना था। दोनों छोरे बी कन्नी काटगे। डाक्टर तै बूझ्या अक मोल नहीं मिलज्या खून। डाक्टर नै बी टका सा जवाब दे दिया अक माणस कै माणस का खून चढ़ै सै हाथी का खून थोड़े ए चढ़ाणा सै। अर जिब तम इसके बेटे ए इस ताहिं खून नहीं दे कै राजी तो और कोए कौण देवैगा। घूम फिरकै वे दो रिक्से आल्यां नै पाकड़ ल्याये चार सौ चार सौ रुपइयां मैं। खून दे दिया उननै तो रिकार्ड मैं नाम लिखावण लागे तो एक नै लिखाया रामचन्द्र सन आफ फत्ते सिंह बाल्मिकी अर दूसरे नै लिखाया लालचन्द वल्द कन्हैया हरिजन अर गाम का नाम। रमलू के दोनों छोरे एक बै तो हिचकिचाए पर फेर सैड़ दे सी दोनों बोत्तल ले कै वार्ड मैं पहोंचगे। डाक्टर नै वे खून की दोनों बोतल चढ़ा दी रमलू कै। उसके दोनूं छोरां कै जाड्डा चढ़रया था अक कदे बाबू बूझले अक यो किसका खून सै तो के जवाब देवांगे। पर रमलू तो आंख मींच कै पड़या रहया। आगले दिन रामचन्द्र अपणे बकाया पीस्से लेण वार्ड मैं आया तो रमलू नै बूझ लिया अक क्यांह के पीस्से। तो रामचन्द्र नै सारी बात बताई। रमलू ने बूझ्या अक तेरी जात के सै भाई तो रामचन्द्र नै बतादी अर लालचन्द की बी बतादी। रमलू तो चुप खींचगा, भींत बोलै तो रमलू बोलै। पीस्से दे कै सैड़ दे सी रामचन्द्र फारिग कर दिया अर मन समझाया अक खून मैं जातपात कीसी, खून तो सबका एक सा ऐ हो सै।